Thursday, December 10, 2015

क्या लिखूं ?














ए कलम बता, मै क्या लिखूं !

मस्जिद की पहली अज़ान लिखूं

या मंदिर का पूजा थाल लिखूं
मै तंज कसूं नेताओ पर या
अपने प्रदेश का हाल लिखूं

दुखते मन का  गुबार लिख दूँ

या रिश्तो का अदब लिहाज करूँ
तकदीर का रोना  शुरू करूँ 
कि जीवन में घुला आनंद लिखूं...

ए कलम बता, मै क्या लिखूं !


जा बैठूं पीहर के आँगन में

ममता की ठंडी छाँव लिखूं
बचपन का गुल्लक खनकाउं
या बाबुल का दुलार लिखूं

नारी का कोमल  मन लिखूं

कि निष्ठुर समाज की रीत लिखूं
मै गुरु मंत्र का ध्यान करूँ या
सखियो का गुदगुद संवाद लिखूं

ए कलम बता मै क्या लिखूं !

वो पहली पहली प्रीत लिखूं 
कि बिरहन के सिसकते गीत लिखूं 
लिख डालू तन्हाई की बातें
या महफ़िल की रंगी शाम लिखूं

मै प्रथम मिलन की लाज लिखूं
या साजन का अनुराग लिखूं
मातृत्व का अनुपम संसार लिखूं
या नित - नित की तकरार लिखूं

ए कलम बता मै क्या लिखूं !


गावों में बसता किसान  लिखूं

या शहर की भागम - भाग लिखूं
सर्दी में ठिठुरते पावं लिखूं
या महलों में बसती ठाठ लिखूं

नीला अनंत आकाश लिखूं

या सागर में छुपा मै राज़ लिखू
पूनम की उजली रात लिखूं 
या सावन की बरसात लिखूं!

ए कलम बता न क्या लिखूं ?

3 comments:

Footprints said...

तू लिख वो, जो ना लिखा गया;
ना कहा गया,ना सुना गया।
दिल से दिल तक पहुँचे जो
क्यों ना वो संवाद लिखो।
Beautiful one Nalinee!

Rajat Mishra said...

Impressive.. Thought provoking and beautiful

Sheetal Patil said...

तुम बस लिखा करो नलिनी
कलम से तुम्हारी जो भी उतरेगा कागज पर वोह बस शब्द नही, विचारधारा होगी उत्साह और उमंगो से भरी.. प्रेरित करने वाली