Sunday, February 14, 2016

मुसलमान










चंद गुमराहों ने इस्लाम  पर दाग लगा डाला
ख़ुदा  के नाम पर  खौफ़ का माहौल  बना  डाला 

तय तो था गले मिलना  मेरी  ईदी  में
जालिमों ने सिर कलम करना सीख डाला

हसीनाओं का चिलमन था ये काला नक़ाब
सिरफिरो ने इसे दहशत का निशान बना  डाला 

सहमा सा बैठा हूँ मैं , खुद ही हैरान हूँ
जेहादियो की बदौलत पूरी कौम में बदनाम हूँ

मेरी  बढ़ी  हुई दाढ़ी में, सब ख़तरा देखते हैं
कतराते है सफर में , बरबस नजर फेर लेते हैं

किस किस को समझाऊ, कितना घुटता हूं मैं
क्यों कसूरवार हूँ मैं, क्योंकी  मुसलमान हूँ मैं ?

बखूबी जानता हूँ  मेरे मुल्क की सियासत को
सेक्युलर हिंदुस्तान के शातिर रहनुमाओं को

छोड़ो !  ना समझोगे तुम, ना बता पाउँगा मैं
ज़बा खोली तो खामखाँ गद्दार कहलाऊंगा मैं 

No comments:

Post a Comment