Beautifully travelled
Thursday, December 14, 2017
गोपाल दास 'नीरज'
आत्मा के सौन्दर्य का, शब्द रूप है काव्य
मानव होना भाग्य है, कवि होना सौभाग्य।
अन्तिम घर संसार में, है सबका शमशान
फिर इस माटी महल पर, क्यों इतना अभिमान।
- गोपाल दास 'नीरज'
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